Donald Trump Policy for India: अमेरिकी में राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की जीत हो गई है और कमला हैरिस को हार का सामना करना पड़ा है. फॉक्स न्यूज ने डोनाल्ड ट्रंप की जीत का दावा किया है और बताया है कि उन्होंने बहुमत हासिल कर लिया है. डोनाल्ड ट्रंप के दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे मजबूत सैन्य शक्ति वाले देश अमेरिका के नए राष्ट्रपति बनने के बाद दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है और भारत समेत दुनियाभर के देश इस सत्ता परिवर्तन के आधार बड़े बदलावों का अनुभव कर सकते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत पर क्या-क्या असर पड़ेगा.
- भारत से रिश्ते को मिलेगी नई दिशा: डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं और इस बार वो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत के भविष्य के रिश्ते संभवतः एक नई दिशा ले सकते हैं. भारत के साथ संबंधों को बढ़ाने में गहरी दिलचस्पी दिखाने वाले ट्रंप ने दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक प्रतिबद्धता जताई है.
- इमिग्रेशन पॉलिसी और H-1B वीजा पर बढ़ेगी टेंशन: डोनाल्ड ट्रंप की रिस्ट्रिक्टेड इमिग्रेशन पॉलिसी (विशेष रूप से H-1B वीजा कार्यक्रम के संबंध में) ने अमेरिका में कई भारतीय पेशेवरों को प्रभावित किया है. ट्रंप एक बार फिर अपनी पुरानी नीतियों को पुनर्जीवित कर सकते हैं, जिससे कुशल भारतीय श्रमिकों के लिए बाधाएं पैदा होंगी और संभावित रूप से भारतीय प्रतिभाओं, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी पर निर्भर क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ेगा. सख्त आव्रजन नीतियां (Immigration Policies) भारतीय तकनीकी फर्मों को वैकल्पिक बाजारों की तलाश करने या घरेलू स्तर पर अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं, जिससे वैश्विक प्रतिभा परिदृश्य में नई गतिशीलता पैदा होगी.
- पीएम मोदी से बढ़ेगी तालमेल: डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के बीच दोस्ती कोई नई बात नहीं है. साल 2019 में टेक्सास में आयोजित 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में उनकी दोस्ती साफ तौर पर देखने को मिली थी, जहां ट्रंप ने 50 हजार लोगों की भीड़ के सामने पीएम मोदी की मेजबानी की थी, जो किसी विदेशी नेता के लिए अमेरिका में सबसे बड़ी सभाओं में से एक थी. साल 2020 की शुरुआत में ट्रंप ने अहमदाबाद में आयोजित 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम के लिए भारत का दौरा किया, जिसमें दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में 1 लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था. ये हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम आपसी प्रशंसा को दर्शाते हैं, जिसमें ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और भारत की आर्थिक प्रगति की प्रशंसा की.
- व्यापार और आर्थिक मामलों में नुकसान: डोनाल्ड ट्रंप का फोकस अमेरिका फर्स्ट पर केंद्रित रहा है और इस बार भी वो इन्हीं नीतियों पर काम करेंगे. पहले कार्यकाल में अमेरिकी उद्योगों को संरक्षण देने की नीति पर चलने वाले दूसरे कार्यकाल में भी भारत समेत कई देशों के आयात होने वाली वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगा सकते हैं. इसके अलावा अमेरिकी वस्तुओं पर आयात पर ज्यादा टैरिफ लगाने पर भी एक्शन ले सकते हैं.
- चीन से टकराव का भारत को फायदा: डोनाल्ड ट्रंप का चीन के प्रति विरोध, खास तौर पर व्यापार और सुरक्षा के मामले में भारत को लाभ पहुंचा सकता है. चीनी विनिर्माण पर निर्भरता कम करने के लिए उनके प्रशासन का प्रयास अमेरिकी कंपनियों को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है. अनुकूल नीतियों के साथ, भारत इन कंपनियों को आकर्षित कर सकता है, खुद को एक वैकल्पिक उत्पादन केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है और संभावित रूप से आर्थिक विकास को गति दे सकता है.
- रक्षा सहयोग मजबूत होगा: ट्रंप के पिछले प्रशासन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए क्वाड-अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक सुरक्षा साझेदारी को मजबूत किया था. ट्रंप के नेतृत्व में, दूसरे कार्यकाल में संयुक्त सैन्य अभ्यास, हथियारों की बिक्री और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जारी रहने की संभावना है. इस तरह के रक्षा सहयोग से भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा, खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ तनाव को देखते हुए.
- बढ़ सकता है आर्थिक सहयोग: पीएम मोदी का 'इंडिया फर्स्ट' दृष्टिकोण डोनाल्ड ट्रंप के 'अमेरिका फर्स्ट' मंच से मेल खाता है, जिसमें दोनों नेता घरेलू विकास, आर्थिक राष्ट्रवाद और सुरक्षित सीमाओं पर जोर देते हैं. उनकी समान विचारधाराओं ने अमेरिका-भारत हितों के बीच एकता को बढ़ावा दिया है, जो ट्रंप के चुनाव जीतने पर और भी गहरा हो सकता है. रणनीतिक साझेदारी पर ट्रम्प के जोर से भारत के साथ आर्थिक और रक्षा सहयोग बढ़ सकता है, जिसका असर व्यापार से लेकर सैन्य सहयोग तक के क्षेत्रों पर पड़ेगा.
- पाकिस्तान पर कंट्रोल: ट्रंप की दक्षिण एशिया नीतियां भारत के क्षेत्रीय हितों को प्रभावित कर सकती हैं. हालांकि, उन्होंने पाकिस्तान के साथ सहयोग करने की इच्छा दिखाई है, लेकिन ट्रंप ने आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में जवाबदेही की भी मांग की है. उनका 'शक्ति के माध्यम से शांति' दृष्टिकोण आतंकवाद और उग्रवाद पर अमेरिका के सख्त रुख का संकेत दे सकता है, जो भारत की अपनी सुरक्षा चिंताओं के साथ संरेखित है. ट्रंप के नेतृत्व वाला अमेरिका पाकिस्तान पर आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए अधिक दबाव डाल सकता है, जिससे संभावित रूप से भारत के सुरक्षा उद्देश्यों को लाभ हो सकता है.
- अमेरिकी विदेश नीति में संभावित बदलाव: डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हाल ही में हुई हिंसा की निंदा की है. डोनाल्ड ट्रंप का संदेश दक्षिण एशिया में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सम्मान को बनाए रखने के उनके इरादे को रेखांकित करता है, जो उनके प्रशासन के तहत अमेरिकी विदेश नीति में संभावित बदलावों का संकेत देता है. बांग्लादेश के सवाल पर ट्रंप ने खुलकर भारत का साथ दिया है. ट्रंप ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाया था.
- कश्मीर मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप का रुख: साल 2019 में डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता की बात कही थी. उन्होंने यह भी दावा कर दिया था कि पीएम मोदी भी उनसे मध्यस्थता कराना चाहते हैं. हालांकि, भारत ने इस दावे को खारिज कर दिया था और बताया था कि पीएम मोदी ने ऐसा कभी नहीं कहा था. अगर दूसरे कार्यकाल में भी ट्रंप इस मुद्दे पर उठाते हैं तो भारत से रिश्ते खराब हो सकते हैं.